आज मैं नि:शब्द हूँ
त्रस्त और स्तब्ध हूँ
भिन्न भिन्न सवाल हैं
और कई बवाल हैं
उठ रहा तूफ़ान है
गिर रहा मचान है
क्यूँ दुःख हैं जीवन में ?
मोह माया से परास्त क्यूँ,
यह पूरा संसार है?
दे हमें मोक्ष तू ,
और मुक्ति की कामना
कर हमारी दूर तू,
यह सारी यातना
आज मैं नि:शब्द हूँ
त्रस्त और स्तब्ध हूँ
Dhanyawaad:)
जवाब देंहटाएंअब उसका ही आसरा है... बहुत सुन्दर रचना... शुभकामनाये
जवाब देंहटाएं:)dhanyawaad apka!!
जवाब देंहटाएंHard hitting lines.
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