प्रशांत महासागर की गहराईयों में,
छुपे हुए अनमोल मोती से तुम,
शांत,अविचलित,मनोहर,
किन्तु गतिमान हरदम।
धुंध से ढके हुए पर्वतों की चंचलता,
तुम्हारी हंसी का एक पहलु,
और न जाने क्या क्या मेरे मन में बसे,
तुम्हारे रूप हैं।
तभी तो,
तुम मेरे स्वप्नों की रची हुई अनकही कहानी हो,
और शायद उन स्वप्नों का विलय भी।
अनकही सी कहानी, परन्तु सब कुछ कह रही है।।।।
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