भीनी-भीनी सी खुशबू लिए,
अनगिनत किरणों के जलते दीये ,
मीठा राग गुनगुनाती,
इक सर्द सुबह l
सफ़ेद आँचल सा लहरा,
अथाह व्योम और सागर गहरा,
छंद - पंक्तियाँ लिखती ,
इक सर्द सुबह l
पथिक को राह दिखाती ,
कभी चुप और कभी इतराती,
बस यूँही मुस्कुराती,
इक सर्द सुबह l
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आभार है मेरा