दिसंबर का मौसम इतना सर्द न था,
जब से तुम गए हो इतना दर्द न था l
पूंछू तुम्हारा पता -
कभी पहाड़ों पे गिरती बर्फ से,
और कभी उनपर तैरते अर्श से l
सलोनी हवा में बहती -
तुम्हारे वादों कि वफ़ा,
मुझ तक ले आयी है तुम्हारा स्पर्श l
शायद कभी किसी मोड़ पर तुम मिलो,
और हो जाएं हम -तुम गुम l
दिसंबर की ठिठुरती सर्दी में,
तुम्हारी यादों कि गर्माहट,
महकाती मेरे हर पल की आहट l
simply superb.
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