14 मई 2014

प्रकृति की गोद

मंद - मंद हवा का  झौंका ,
नदिया में बहती नौका ,
प्रकृति के ये अनुपम दृश्य ,
मन को हर्षाते सदृश्य l 


चिड़ियों का चहचहाना ,
फूलों का मुस्कुराना ,
महकाते जीवन का आँगन ,
खुशियाँ  लाते हर प्रांगण l 


कल - कल करता झरना ,
जाने सब को हरना ,
समायें हर कण में,
प्राण वायु सा हर प्रण मेँ l 


पर्वतों का गीत गूंजे चहुँ ओर ,
सब को खींचे जैसे एक डोर ,
हर रात , हर भोर, 
अद्धभुत राग गुनगुनाती - 
प्रकृति की गोद l 

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आभार है मेरा