नदिया में बहती नौका ,
प्रकृति के ये अनुपम दृश्य ,
मन को हर्षाते सदृश्य l
चिड़ियों का चहचहाना ,
फूलों का मुस्कुराना ,
महकाते जीवन का आँगन ,
खुशियाँ लाते हर प्रांगण l
कल - कल करता झरना ,
जाने सब को हरना ,
समायें हर कण में,
प्राण वायु सा हर प्रण मेँ l
पर्वतों का गीत गूंजे चहुँ ओर ,
सब को खींचे जैसे एक डोर ,
हर रात , हर भोर,
अद्धभुत राग गुनगुनाती -
प्रकृति की गोद l
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आभार है मेरा