हर तरफ रंगों की रंगोली है,
मन में ख़ुशी की लहर,
और दिल में प्रसन्नता की डोली है।
प्रकृति के असंख्य रंग,
खिलें हैं हर्ष के संग,
और उड़ रहा है मन हवा के संग।
पंछियों का कोलाहल,
एक मधुर राग है,
चहुँ ओर छाया रंग है,चाहे आकाश हो या भूतल।
खो जाऊं इन रंगों में,
वसंत की फुहारों में,
कहीं झूलें, तो कहीं ठिठोली,
यही तो है खुशियों की होली।
कहीं झूलें, तो कहीं ठिठोली,
जवाब देंहटाएंयही तो है खुशियों की होली। ha sach hi to hai ...
लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंA very colourful poetry :-)
जवाब देंहटाएंकविता बहती है भावों की सरिता के रूप में.. आभार इस कविता के लिए!!
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