अक्सर खाली पन्नों पे,
लिखती हूँ तुम्हारा नाम |
क्या कभी इन पन्नों पर,
तुम्हारे संग जुड़ पायेगा,
मेरा नाम ?
अब पन्नों की एक किताब,
फड़फड़ा रही है,
रुआंसे कोने में |
स्याही भी यही पूछती है मुझसे,
क्यूँ लिखती हो उसका नाम,
जिससे कभी ना जुड़ा तुम्हारा नाम?
सुंदर कविता👌
जवाब देंहटाएंवंदना जी आप की कविताएँ भावपूर्ण बहुत सुंदर है।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 29 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंप्रेम में डूब कर लिखी बेचैन सी रचना ।
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई यह बात
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