02 सितंबर 2017

खाली पन्ने .....

अक्सर खाली पन्नों  पे,
लिखती हूँ तुम्हारा नाम |

क्या कभी इन पन्नों  पर,
तुम्हारे संग जुड़ पायेगा,
मेरा नाम ?

अब पन्नों  की एक किताब,
फड़फड़ा  रही है,
रुआंसे कोने में |

स्याही भी यही पूछती है मुझसे,
क्यूँ लिखती हो उसका नाम,
जिससे  कभी ना जुड़ा तुम्हारा नाम?

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर कविता👌
    वंदना जी आप की कविताएँ भावपूर्ण बहुत सुंदर है।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 29 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम में डूब कर लिखी बेचैन सी रचना ।

    जवाब देंहटाएं

आभार है मेरा