उठा लो हाथ में ध्वजा,
है पूरा भारतवर्ष सजा ।
गूंजने दो विजयी नारा,
आज है पर्व हमारा।
न जाने कितना लहू बहा,
कितना कुछ सभी ने सहा।
आज हम स्वतंत्र हैं,
पर मन में कई प्रश्न हैं।
है यही आशा आज की,
भ्रष्टाचार,जातिवाद,
धर्म पर अपवाद,
सब हो जाएं समाप्त यह विवाद।
बेहतरीन ... जय हिन्द
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-08-2021 ) को 'नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना' ( चर्चा अंक 4158 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
वाह बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंवंदेमातरम्।
बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंजय हिन्द.. वंदे मातरम्।
सुन्दर संदेश।
जवाब देंहटाएंSuprb
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