इस लम्बी उम्र का क्या करूँ?
खींचती ही चली जा रही है l
बेजान पड़ी उम्मीद,
फिर जी उठी है l
पलकों पे बोझिल सपने,
सोचा सुला दूँ उन्हें अब l
पर सज रहे हैं ,
आने वाले कल के लिए l
वोह राह जिसे भुला दिया,
बरसों पहले,
मिल गयी वापस एक मोड पे आके l
अब मुझे बढ़ना है, मंजिल तक पहुँचाना है l
बहुत सही लिखा है आपने
जवाब देंहटाएं