धुआं - धुआं सा मौसम है,
छुई - मुई सी रात है ,
उसके आँचल में समाई हर बात है।
ओंस के मोती ,
खिले हैं हर डाल पर,
बिना वजह हँसते ,
मेरे हर सवाल पर।
राह की ख़ामोशी,
कहे कुछ कानों में,
कई भावनाओं की लड़ियाँ बह उठे तूफानों में,
जा पहुंचे कहीं दूर दुनिया के वीरानों में।
इन्हीं वीरानों में ,
खोये हुए हैं --- अनकहे शब्द।
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आभार है मेरा