27 अक्तूबर 2015

इन पहाड़ों से





इन पहाड़ों से मेरा कुछ अनोखा नाता है ,
इन्हीं का साथ मुझे हर दम सुहाता है। 

अडिग, अखंड, पहाड़ों की छवि मन में उकेरित है ,
न जाने कितने मेरे स्वपन इन पहाड़ों से प्रेरित  हैं। 

पहाड़ी धुन का राग  मन गुनगुनाता है ,
पहाड़ों की सुंदरता में ही जीवन समाता  है। 

अथाह कल्पनायें पनपती इन वादियों में ,
ज्यूँ मद्धम - मद्धम धूप खिले सर्द जाड़ों में। 

पहाड़ बुलाते हैं मुझे हर क्षण ,
ऐसा प्रतीत होता है ,
शायद कुछ मरण - जन्म का  इनसे समझोता है।  

6 टिप्‍पणियां:

  1. because the mountains talk back...
    beautifully written Vandana..

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 27 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 29 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. मानवीयकरण अलंकार से सजे भाव।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रकृति - प्रेम झलक रहा इस रचना में । पहाड़ों से नाता जो आपको महसूस हुआ ।
    सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  6. रूमानी एहसास, बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं

आभार है मेरा