आसमान में कितने सारे
टिमटिमाते सितारे
जंगल में भी
झिलमिल करता
जुगनुओं के रूप में
उनका गुंजन
सोचे बच्चे
कि तारें कैसे
नाचें ऊपर नीचे ?
कभी चमकते
कभी दमकते
सहलाते आँखें मीचे
बचपन की यही कहानी
अब लगती अनजानी
जाने कहाँ खो गयी बचपन की वह मौज
अब जीवन बन गया है एक गहरी सोच !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आभार है मेरा