रोशनी की चंद किरणों से ,
शांत हो मन का अंतर्द्वंद।
स्वयंभू विश्वास जागृत होता ,
और भय मृत होता।
काला स्याह तमस भी ,
बह जाये बन उमस का नीर।
कभी न खोना विश्वास मन का ,
विलुत्प न होना बन हिरन वन का।
क्योंकि उम्मीद की रोशनी ,
प्रज्वलित अवश्य होगी !
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आभार है मेरा