18 जुलाई 2018

रोशनी

रोशनी की चंद किरणों से ,
शांत हो मन का अंतर्द्वंद। 

स्वयंभू विश्वास जागृत होता ,
और भय मृत होता। 

काला स्याह तमस भी ,
बह जाये बन उमस का नीर। 

कभी न खोना विश्वास मन का ,
विलुत्प न होना बन हिरन वन का। 

क्योंकि उम्मीद की रोशनी ,
प्रज्वलित अवश्य होगी !


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आभार है मेरा