कैसे जानू तुम्हें?
जानकार भी अनजान लगती हूँ ,
कुछ कहना हो ,
तो ,
झिझक सी जाती हूँ ,
और ,
कभी कुछ कह दूँ ,
तो ,
शायद तुम्हारी वेदना को ,
झकझोर जाती हूँ मैं।
कैसे जानू तुम्हें ,
बस ,
यही सोच के कभी - कभी ,
घबरा सी जाती हूँ मैं।
असमंजस की अजीब स्थिति
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