जहाँ -जहाँ तुम उड़ो,
ले चलो मोहे संग भी।
यदि तुम एक पंछी बनो,
तो बना लो मुझे उसके पर भी,
ऊंचे गगन को छुए हम-तुम यूँही कभी-कभी।
आकाश में उड़ो तुम,यदि पतंग की तरह,
बेफिक्र,बेपरवाह,
तो बना लो मुझे उसकी डोर भी,
साथ हमेशा बना रहे पतंग-डोरी का,
विच्छेद ना हो कभी भी।
जुड़ना चाहूं बस तुम से ही,
यह साथ याद रखना सदा,
क्यूंकि मेरे मन की उमंग है,
केवल तुम संग ही।
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आभार है मेरा