तपती धरती जब मांगे पानी,
वर्षा ऋतु आयी सुहानी।
झन - झन करते जल के मोती,
खन्न- खन्न बहते नदियां नाले,
बादलों का महल निराला,
उड़ेले जल का बहता प्याला।
वन- उपवन सब महके-महके,
चिड़ियाँ , बुलबुल सब चहकें चहकें,
नीर ही है जीवन दाता,
सावन का मौसम सबको सुहाता।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुन्दर चित्रण वर्षा के सौन्दर्य का। सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
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