28 जुलाई 2021

वर्षा ऋतु

पती धरती जब मांगे पानी,
वर्षा ऋतु आयी सुहानी।

झन - झन करते जल के मोती,
खन्न- खन्न बहते नदियां नाले,
बादलों का महल निराला,
उड़ेले जल का बहता प्याला।

वन- उपवन सब महके-महके,
चिड़ियाँ , बुलबुल सब चहकें चहकें,
नीर ही है जीवन दाता,
सावन का  मौसम सबको सुहाता।





3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चित्रण वर्षा के सौन्दर्य का। सुन्दर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

आभार है मेरा