हवाओं कि गर्माहट से,
पत्तों की आहट से,
लगे, आसपास हो तुम l
कल- कल बहता पानी,
कहे तुम्हारी कहानी,
तो, लगे आसपास हो तुम l
पंछियों का कोलाहल,
कहे मुझसे हर पल,
कि , आसपास हो तुम l
फूलों में, कलियों में,
सूने रास्तों और गलियों में ,
लगे ,आसपास हो तुम l
जब आँखें मींची ,
हुई स्वपन में विलुप्त ,
तो तुमने ही कहा,
मेरे ह्रदय में हो तुम l
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आभार है मेरा