कण - कण में हैं शिव का वास ,
उन्हीं का नाम है हर प्राण ,हर शंवास।
सूर्य की पहली किरण समान ,
सबको देते वह वरदान।
दोपहर की ऊष्मा ,
उन्हीं की है दक्षता।
संध्या का लाल रंग ,
गाये शिव के ही प्रसंग।
रात्रि की कालिमा,
शिव के प्रकाश से श्वेत वस्त्र धरा करे।
शिव की ही वंदना, गूंजे चहुँ तरफ ,
जैसे कैलाश को सुसज्जित करे बरफ।
शिव नाम अखंड है ,
तांडव करें जब , तब धरा खंड- खंड है।
शिव को तुम सिमर लो ,
स्वयं में तुम ढाल लो।
शिव स्वरुप पूर्ण पावन ,
भिगोये जग को बन सावन।
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आभार है मेरा