टूटे -
टूटे ख्वाबों के
,
टुकड़े यहाँ- वहाँ हैं बिखरे हुए ,
इस आशा में पड़े हैं कि ,
कभी कोई उन्हें छुये।
राहगीर की नज़र पड़ी जब ,
उठाये उसने चंद टुकड़े,
बाकी रह गए यूँही बस ,
कुछ सिमटे , कुछ उखड़े -
उखड़े।
अनेक उड़ गए पवन संग ,
और जो बच गए पीछे ,
आँख मूँद सो गए ,
कभी कोई गुजरे वहां से तो शायद उन्हें वह सींचे।
सब को सब कुछ कहाँ मिला है ,
जीवन तो बस धोखा है ,
जीना है हर हाल में इसको ,
वैसे तो सब खाली है ,खोखला है।
जीवन तो बस धोखा है ,
जवाब देंहटाएंजीना है हर हाल में इसको ,
वैसे तो सब खाली है ,खोखला है।
...... ..इस नश्वर संसार में सबकुछ ही धोखा है..कितना भी कुछ करो सब यहीं धरा रह जाना है ....
सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा अप्पकी रचनाओ को पढ़कर , और एक अच्छे ब्लॉग फॉलो करने का अवसर मिला !