आज तुम्हारी बाँहों में बिखर जाऊँ ,
पिरो लो मुझे इन गीतों में,
शायद कुछ संवर जाऊं l
अमलताश के फूलों में,
गुलमोहर के झूलों में ,
कुछ मीठी भूलों में,तुम ही तो हो l
भिगोती है तुम्हारी चाहत,
मुझे हर पल पल,
तुमसे ही तो बहता है मेरा जीवन कल कल l
उम्मीद से सजी है दुनिया मेरी ,
तुम्हारी ही कल्पनाओं से,
नमन है तुम्हें मेरा, इन् कविताओं से l
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 27 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमॉडरेशन हटािए
जवाब देंहटाएंकृपया
सादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 29 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसमर्पण का भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर बढ़िया प्रेमिल अभिव्यक्ति। हार्दिक शुभकामनाएं वंदना जी 🙏🌷🌷💐🌷
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर काव्य
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर काव्य
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सु्न्दर मनमोहक।