समझती हूँ मैं तुम्हारी व्यथा
और दुःख से भीनी हवा l
दूर हो रहे हो जो मुझसे
खो दूंगी मैं ,खुद को खुद से l
दूर हो रहे हो जो मुझसे
खो दूंगी मैं ,खुद को खुद से l
जानती हूँ यह क्षण भर को है,
झड जायेगा पत्ते की तरह l
नयी कोपलें फिर फूटेंगी ,
आशाओं की रुधिर किरणे फिर चमकेंगी l
ठंडी बयार का बहेगा झोंका ,
संग लायेगा खुशियों का झरोखा l
विसर्जित है तुम्हें पूर्ण समर्पण ,
है यह मेरा तन मन अर्पण l
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आभार है मेरा