मेरे सपनों की दुनिया,
है हकीकत से परे ये दुनिया l
कहीं है फूलों की खुशबू
कहीं है मधु की महक l
कहीं है भवरों का गुंजन,
कहीं है चिड़यों की चहक l
है हकीकत से परे ये दुनिया l
कहीं है फूलों की खुशबू
कहीं है मधु की महक l
कहीं है भवरों का गुंजन,
कहीं है चिड़यों की चहक l
कभी तुम्हारा हाथ है मेरे हाथ में,
कभी मेरा हाथ है तुम्हारे सिराहने l
कभी तुम कविता लिख रहे हो ,
कभी तुम गुनगुना रहे हो l
मेरे सपनों की दुनिया,
है हकीकत से परे ये दुनिया l
सुन्दर रचना वंदना...
जवाब देंहटाएंबस यहाँ परी को परे कर दो.."है हकीकत से परी ये दुनिया"
सस्नेह
अनु
:) thankyou...yes will do so....thankyou for taking time and read my poems:)!!!!
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