भीड़
यहाँ देखो, वहां देखो ,
हर तरफ भीड़ है ,
भीड़ को ही रोंद्ती ,
कैसी यह भीड़ है ?
सड़क पर, रेलों में ,
सब्जी के ठेलों में,
घर की छतों को तोड़ती ,
ऐसी यह भीड़ है !
घट रहे हैं स्त्रोत भी ,
बढ़ रहे हैं लोग जो,
तीर की तरह चीरती ,
देखो यह भीड़ है !
भीड़ पर जो लगे,
लगाम,
तभी देश का हो,
ऊँचा
मकाम !
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आभार है मेरा