क्या है प्यार की परिभाषा ?
है यह निरंतर बहती आशा या
भावनाओं में सिमटी निराशा !
क्यों परे नहीं है ,यह समाज के नियमों से ?
शायद इसलिए कि बंधा है सयंम से या
विचर सकता है अथाह व्योम में !
कभी थामोगे मेरा हाथ तुम ?
कहते हो यह बंधन अटूट है ,पर,
जुड़ा है किसी ओर के संग !
वचन देता हूँ, अगले जन्म ,
रंग दूंगा , तुम्हें , अपने ही रंग!
है यह निरंतर बहती आशा या
भावनाओं में सिमटी निराशा !
क्यों परे नहीं है ,यह समाज के नियमों से ?
शायद इसलिए कि बंधा है सयंम से या
विचर सकता है अथाह व्योम में !
कभी थामोगे मेरा हाथ तुम ?
कहते हो यह बंधन अटूट है ,पर,
जुड़ा है किसी ओर के संग !
वचन देता हूँ, अगले जन्म ,
रंग दूंगा , तुम्हें , अपने ही रंग!
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
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