04 मार्च 2021

बस यूँ ही

अचानक यूँ चलते चलते इन सूनी राहों पर

लगा, कि शायद तुम मिल जाओ, 

न कोई सवाल, न कोई जवाब, 

            बस यूँ ही मुझे तुम मिल जाओ । 


तुम्हारे पैरों की छाप उन सूनी राहों  पर,

शायद, बता दे तुम्हारा पता,

न कुछ कहना, न कुछ सुनना,

बस यूँ ही मुझे तुम मिल जाना। 

             

 कभी उस राह पर, मेरी ओर आओ तो,

 अपने होने का ही सही,

 एक मीठा सा अहसास, मुझे दे जाना,

 बस यूँ ही मुझे तुम मिल जाना।