इन राहों पर चलते यूँ लगे शायद अगले मोड़ पर , तुम खड़े हो।
मुझसे मिलोगे तो कहोगे," कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।"
पेड़ो के पतों की हर आहट पे लगे,की तुम छुपकर मुझे देख रहे हो।
तुम्हारी नजरें कह रही हो,"देखो मै यहाँ हूँ।"
गूंज रही है कानो में तुम्हारी वही हंसी ठिठोली।
जो कहती है ," मुझ पर भरोसा रखो।"
इस जीवन का अंत होगा जब ,खड़ी होंगी मै वहां तब।
निहारूंगी तुम्हारी ही बाट , अटूट बंधन में बंधने का है हमारा साथ।