25 जून 2013

उलझन

इस लम्बी उम्र का क्या करूँ?
खींचती ही चली जा रही है l  
बेजान पड़ी उम्मीद,
फिर जी उठी है l 


पलकों पे बोझिल सपने,
सोचा सुला दूँ उन्हें  अब l 
पर सज रहे हैं ,
आने वाले कल के लिए l 


वोह राह जिसे भुला दिया,
बरसों पहले,
मिल गयी वापस एक मोड पे आके l 
अब मुझे बढ़ना है, मंजिल तक पहुँचाना है l 


02 जून 2013

थाम लो


हाथ छूट रहा है हाथों से,
जीवन पर्यन्त साथ निभाना था l 

क्यूँ डूब रहे हो दुविधा में?
आशाओं की कश्ती पर हम सवार थे l 

कैसे विश्वास दिलाऊँ तुम्हे, सब ठीक होगा l 
स्वयं ही बह रही हूँ आशाविहीन सी l 

परन्तु पुनः जागृत होंगे हम,
उभरेंगे इन लहरों की अठखेलियों से ऊपर l 

थाम लो मेरा हाथ , फिर अपने हाथों संग,
चलो चलें वहां, जहाँ है जीवन का हर रंग l