08 जनवरी 2015

अगर .........

अगर मैं पुष्प होती ,
तो तुम्हारी राहों में बिछ जाती ,
मेरी सुगंध बस तुम तक ही आती। 

अगर मैं अश्रु होती ,
तो तुम्हारे नयनों से ख़ुशी बन छलकती ,
सर्वस्व तुम्हारी ही प्रसन्नता बन दमकती। 

अगर मैं ब्यार होती ,
तो प्राणवायु बन तुम्हें सहलाती ,
जहाँ भी जाते तुम्हारा साथ मैं पाती। 

अगर मैं धरा होती ,
तो तुम  आसमान का काजल ,
मुझ पर बरस जाते तुम बन बादल। 

अगर मैं वंदना होती ,
तो तुम्हारा ही गुणगान गाती ,
धैर्य और सयंम से तुम्हें सजाती।

अगर मैं नदिया होती ,
तो तुम मेरे प्रशांत ,
तुम में ही समां जाते मेरे दिन - रैन।  

03 जनवरी 2015

हे ! हिमालय तू महान है


ऊँची जिसकी शान है ,
दुनिया में जिसका मान है ,
सदियों से है जो खड़ा हुआ ,
दुश्मनों के सामने अड़ा हुआ ,
हे ! हिमालय तू महान  है। 

प्रकृति के कई  उपहार ,
फूलों की नई बहार ,
ज्ञान के असंख्य भण्डार ,
तुझ में समाये अपरम्पार ,
हे ! हिमालय तू महान  है। 

अशांत मन को शांति ,
निर्जन जीवन को कांति ,
गंगा के प्रवाह को संभालता ,
निस्वार्थ प्रेम उड़ेलता ,
हे ! हिमालय तू महान  है। 

गा न सके कोई तेरी गाथा ,
ईश्वर भी तेरी गोद में समाता ,
पर आज तू है चीखता ,
इंसान जो है तुझको चीरता , 
फिर भी तू है डटा हुआ ,
हे ! हिमालय तू महान  है।