08 दिसंबर 2020

अनगिनत दीप

 ना जाने तुम्हारे नाम के,

कितने दीपों को जलाए बैठी हूं जिंदगी के द्वारे,

यही दीप हैं, मेरे आगे बढ़ने के सहारे।

 

हर दीप में श्वांस,चाहे मेरा चहके,

परन्तु ,तुम्हारे ही नाम से,

यह अनगिनत दीप महकें


उम्मीद है कि, जीवनोपरांत भी,

इन दीपों की लौ प्रजवालित होगी,

जो रोशन करेगी मेरी राह तुम तक,

और तुम्हारी राह मुझ तक।

 

अनगिनत दीपों को संवारे,

तुम्हारा इंतज़ार है,

आज भी..................

02 दिसंबर 2020

विलय

प्रशांत महासागर की गहराईयों में, 
छुपे हुए अनमोल मोती से तुम,
शांत,अविचलित,मनोहर,
किन्तु गतिमान हरदम। 

धुंध से ढके हुए पर्वतों की चंचलता,
तुम्हारी हंसी का एक पहलु,
और न जाने क्या क्या मेरे मन में बसे,
तुम्हारे रूप हैं। 

तभी तो,
तुम मेरे स्वप्नों की रची हुई अनकही कहानी हो,
और शायद उन स्वप्नों का विलय भी।