14 सितंबर 2018

मेरी प्यारी बेटी


फूलों की हँसती फुलवारी हो तुम,
इस जहान में सबसे प्यारी  तुम। 

तारों की लड़ियों की चमचमाहट हो तुम,
चूड़ियों की मधुर खनखनाहट हो तुम। 

सूखे रेगिस्तान को शांत करती , ठंडी ब्यार हो तुम, 
मेरे मन को महकाती सुरमयी गीत हो तुम। 

जहाँ भी तुम रहो,
                          खुशियां ही पीरो,
                                                    इस जिंदगी को जी भर जियो। 

05 सितंबर 2018

रूठे -रूठे

काले आसमान के बदल,
बारिश से टूटे - टूटे से हैं,
जाने क्यों लगे कि,
मेरे कुछ अपने,
मुझसे रूठे -रूठे से हैं। 

वह बातें, वह वादे,
अब झूठे -झूठे से हैं,
क्या मेरे कुछ अपने,
मुझसे रूठे -रूठे से हैं ?

जीवन के सुनहरे सपने,
सिमटे-सिमटे,घुटे -घुटे से हैं,
शायद मेरे कुछ अपने,
मुझसे रूठे-रूठे से हैं। 

तस्वीर जो संजोई थी दीवार पर,
उसके कांच आज फूटे -फूटे से हैं,
हाँ, मेरे कुछ अपने,
 मुझसे रूठे-रूठे से हैं।  

02 सितंबर 2018

सितम्बर


देखो - देखो आया सितम्बर,
झूमे धरा,गाये अम्बर।

बरखा के मोती सजाएंमधुर स्वर,
नाचे तितलियाँ और पक्षी, फैलाये पर।

हर दिन होगा निराला इसका,
फूल -क्यारी कहेंगी सुन्दर किस्सा।

हरियाली की हरित उपमा,
बिखरती मोहक समां,
और इसी सुंदरता में समस्त संसार रमा।

देखो - देखो आया सितम्बर,
झूमे धरा,गाये अम्बर।