28 जुलाई 2021

वर्षा ऋतु

पती धरती जब मांगे पानी,
वर्षा ऋतु आयी सुहानी।

झन - झन करते जल के मोती,
खन्न- खन्न बहते नदियां नाले,
बादलों का महल निराला,
उड़ेले जल का बहता प्याला।

वन- उपवन सब महके-महके,
चिड़ियाँ , बुलबुल सब चहकें चहकें,
नीर ही है जीवन दाता,
सावन का  मौसम सबको सुहाता।