19 मई 2014

तू बस अडिग चल

जब बादल घनघोर बरसें
जल मग्न हो समग्र भूतल ,
तू बस अडिग चल, अडिग चल, अडिग चल।

ज्यूँ मछली तैरे हर बार ,
ले सीख उसकी यह पतवार
हो जाएंगे सैंकड़ो समुद्र पार। 
तू बस अडिग चल अडिग चल, अडिग चल।

हो तेज हवा की गर्जना,
कांपें सृष्टि थर्र - थर्र,
तू बस अडिग चल अडिग चल, अडिग चल।

फैला अपने पंख चहुँ ओर,
ले चूम नील गगन
बुलंदियां भी तुझमें होंगी मगन,
तू बस अडिग चल, अडिग चल, अडिग चल।

जीर्ण हो पृथवी का सीना,
अग्नि उगले पर्वत अनंत ,
तू बस अडिग चल अडिग चल, अडिग चल।

मन को सशक्त कर,
सारी बाधाएं हो जाएँगी हल,
तू बस अडिग चल अडिग चल, अडिग चल।

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आभार है मेरा