25 अगस्त 2014

अनकहे शब्द


धुआं - धुआं सा मौसम है,
छुई - मुई  सी रात है ,
उसके आँचल में समाई हर बात है। 

ओंस के मोती ,
खिले हैं  हर  डाल  पर,
बिना वजह हँसते ,
मेरे हर  सवाल पर। 

राह की ख़ामोशी,
कहे कुछ कानों में,
कई  भावनाओं की लड़ियाँ बह उठे तूफानों में,
जा पहुंचे कहीं  दूर दुनिया के वीरानों  में। 

इन्हीं वीरानों में ,
खोये हुए हैं --- अनकहे शब्द। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आभार है मेरा