28 जून 2018

प्यारा बचपन

आसमान में कितने सारे
टिमटिमाते सितारे
जंगल में भी
झिलमिल करता
जुगनुओं के रूप में
उनका गुंजन 

सोचे बच्चे 
कि तारें कैसे 
नाचें ऊपर नीचे ?
कभी चमकते
कभी दमकते 
सहलाते आँखें मीचे 

बचपन की यही कहानी 
अब लगती अनजानी 
जाने कहाँ खो गयी बचपन की वह मौज 
अब जीवन बन गया है एक गहरी सोच !



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आभार है मेरा