08 दिसंबर 2020

अनगिनत दीप

 ना जाने तुम्हारे नाम के,

कितने दीपों को जलाए बैठी हूं जिंदगी के द्वारे,

यही दीप हैं, मेरे आगे बढ़ने के सहारे।

 

हर दीप में श्वांस,चाहे मेरा चहके,

परन्तु ,तुम्हारे ही नाम से,

यह अनगिनत दीप महकें


उम्मीद है कि, जीवनोपरांत भी,

इन दीपों की लौ प्रजवालित होगी,

जो रोशन करेगी मेरी राह तुम तक,

और तुम्हारी राह मुझ तक।

 

अनगिनत दीपों को संवारे,

तुम्हारा इंतज़ार है,

आज भी..................

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आभार है मेरा