16 सितंबर 2014

शिव स्वरुप

कण - कण में हैं शिव का वास ,
उन्हीं का नाम है हर प्राण ,हर शंवास। 

सूर्य की पहली  किरण समान ,
सबको देते वह वरदान। 

दोपहर की ऊष्मा ,
उन्हीं की है दक्षता। 

संध्या का लाल रंग ,
गाये शिव के ही प्रसंग। 

रात्रि की कालिमा,
शिव के प्रकाश से श्वेत वस्त्र धरा करे। 

शिव की  ही वंदना, गूंजे चहुँ तरफ ,
जैसे कैलाश को सुसज्जित करे बरफ। 

शिव नाम अखंड है ,
तांडव करें जब , तब धरा खंड- खंड है। 

शिव को तुम सिमर लो ,
स्वयं में तुम ढाल लो। 

शिव स्वरुप पूर्ण पावन ,
भिगोये जग को बन सावन। 

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आभार है मेरा