22 सितंबर 2014

टूटे ख्वाब

टूटे - टूटे ख्वाबों के  ,
टुकड़े यहाँ- वहाँ हैं बिखरे हुए ,
इस आशा में पड़े हैं कि ,
कभी कोई उन्हें छुये। 

राहगीर की नज़र पड़ी  जब ,
उठाये उसने चंद टुकड़े,
बाकी रह गए यूँही बस ,
कुछ सिमटे , कुछ उखड़े - उखड़े। 


अनेक उड़ गए पवन संग ,
और जो बच गए पीछे ,
आँख मूँद सो गए ,
कभी कोई गुजरे वहां से तो शायद उन्हें वह सींचे। 

सब को सब कुछ कहाँ मिला है ,
जीवन तो  बस धोखा है ,
जीना है हर हाल में इसको ,
वैसे तो सब खाली है ,खोखला है। 




2 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन तो बस धोखा है ,
    जीना है हर हाल में इसको ,
    वैसे तो सब खाली है ,खोखला है।
    ...... ..इस नश्वर संसार में सबकुछ ही धोखा है..कितना भी कुछ करो सब यहीं धरा रह जाना है ....

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  2. सुन्दर प्रस्तुति !
    आज आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा अप्पकी रचनाओ को पढ़कर , और एक अच्छे ब्लॉग फॉलो करने का अवसर मिला !

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आभार है मेरा