01 दिसंबर 2013

दिसंबर

दिसंबर का मौसम इतना सर्द न था,
जब से तुम गए हो इतना दर्द न था l 

पूंछू तुम्हारा पता -
कभी पहाड़ों पे गिरती बर्फ से,
और कभी उनपर तैरते अर्श से l 

सलोनी हवा में बहती -
तुम्हारे वादों कि वफ़ा,
मुझ तक ले आयी है तुम्हारा स्पर्श l 

शायद कभी किसी मोड़ पर तुम मिलो,
और हो जाएं हम -तुम गुम l  

दिसंबर की ठिठुरती सर्दी में,
तुम्हारी यादों कि गर्माहट,
महकाती  मेरे हर पल की आहट l 

1 टिप्पणी:

आभार है मेरा