17 दिसंबर 2013

अभी .............

अक्षरों की प्यास अधूरी है ,
पास हूँ फिर भी कुछ दूरी है l 

है चाँद  की  प्याली में अमृत  ,
लेकिन मन जाने क्यूँ  है अतृप्त l 

इंद्रधनुषी बाँध पर,
जा पहंचे स्वप्निल  स्वर l 

अरुणिमा का लाल रंग,
 जीवन भर न रहेगा संग l 

ढलती धूप सी उम्र यह,
नदिया समान बह ,
पहुंचेगी अपने सागर  तक कभी l 

पर फिर भी ,
अक्षरों की प्यास,
अधूरी है अभी ,

पास हूँ फिर भी,
 कुछ दूरी है अभी l 

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आभार है मेरा