03 दिसंबर 2013

तुमने ही तो ...........

जब- जब मैं खोई काली स्याह रात में,
या घबरा गई किसी अनकही बात से,
तब- तब तुमने ही तो राह  दिखाई l 

लहरों के बीच तैरते हुए,
घने जंगलों में विचरते हुए,
तुमने ही  तो थामा मेरा हाथ l 

कभी लगा कैसे होगा  यह सफ़र तय,
सताने लगा एक अदृश्य भय ,

तब तुमने ही तो दिया मुझे अभय l 

तूफानी ठंडी हवाएँ,
जब बिखराने लगीँ  मेरे स्वपन,
तब तुमने ही  तो सहलाया  मेरा दुखद वक्त l 

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आभार है मेरा