कहीं किसी ब्रह्माण्ड में ,
आकाशगंगा से परे ,
अंतरिक्ष की सीमाओं से दूर,
एक अनोखी दुनिया है जरूर।
वह दुनिया निराली है ,
चारों तरफ प्रकृति की हरियाली है।
जहाँ सब जन रहें सौहार्द से ,
बिना किसी स्वार्थ के।
दया , भावना , प्रेम परिपूर्ण है ,
मन में शांति व सुकून है।
जीव, जंतु ,मनुष्य , प्राणी,
सब की है मधुर वाणी।
क्रोध, पाप , भेदभाव ,
नहीं है इस दुनिया के संताप।
प्यारा , अदभुत यह संसार,
है कहीं अवश्य ,
इतना तो है मन में विश्वास।
आकाशगंगा से परे ,
अंतरिक्ष की सीमाओं से दूर,
एक अनोखी दुनिया है जरूर।
वह दुनिया निराली है ,
चारों तरफ प्रकृति की हरियाली है।
जहाँ सब जन रहें सौहार्द से ,
बिना किसी स्वार्थ के।
दया , भावना , प्रेम परिपूर्ण है ,
मन में शांति व सुकून है।
जीव, जंतु ,मनुष्य , प्राणी,
सब की है मधुर वाणी।
क्रोध, पाप , भेदभाव ,
नहीं है इस दुनिया के संताप।
प्यारा , अदभुत यह संसार,
है कहीं अवश्य ,
इतना तो है मन में विश्वास।
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आभार है मेरा