23 दिसंबर 2014

अनोखी दुनिया

 कहीं किसी ब्रह्माण्ड में ,
आकाशगंगा से परे ,
अंतरिक्ष की सीमाओं से दूर,
एक अनोखी दुनिया है जरूर। 

वह दुनिया निराली है ,
चारों तरफ प्रकृति की हरियाली है। 
जहाँ सब जन रहें सौहार्द से ,
बिना किसी स्वार्थ के। 

दया , भावना , प्रेम परिपूर्ण है ,
मन में शांति व सुकून है। 
जीव, जंतु ,मनुष्य , प्राणी,
सब की है मधुर वाणी। 

क्रोध, पाप , भेदभाव ,
नहीं है इस दुनिया के संताप। 
प्यारा , अदभुत यह संसार,
है कहीं अवश्य ,
इतना तो है मन में विश्वास। 

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आभार है मेरा