29 जून 2015

तेरा ही नाम

सोते- जागते बस तेरा ही नाम लेती हूँ ,
जब डरती हूँ काली रात से,
तब तेरा ही नाम लेती हूँ। 

बादलों की चादर से छन के आये बारिश ,
भिगो दे मेरी हर ख्वाहिश,
पर हर ख्वाहिश की तकदीर में मैं,
तेरा ही नाम लिख देती हूँ। 



जन्म, पुनर्जन्म होते हैं क्या ?
मुझे नहीं पता। 
यदि होते हैं तो,
हर जन्म में तेरे ही नाम अपना यह जीवन लिख देती हूँ। 

कोई कुछ कहता नहीं मुझसे,
न ही कुछ पूछता है,
क्यूंकि जवाब में मैं,
तेरा ही नाम कह देती हूं,
सोते- जागते बस तेरा ही नाम लेती हूँ । 


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आभार है मेरा