06 मई 2013

प्यार की परिभाषा

क्या है प्यार की परिभाषा ?
है यह निरंतर बहती आशा या 
भावनाओं में सिमटी निराशा !

क्यों परे नहीं है ,यह समाज के नियमों से ?

शायद इसलिए कि बंधा है सयंम से या 
विचर सकता है अथाह व्योम में !
कभी थामोगे मेरा हाथ तुम ?
कहते हो यह बंधन अटूट है ,पर,
जुड़ा है किसी ओर के संग !

वचन देता हूँ, अगले जन्म ,

रंग दूंगा , तुम्हें , अपने ही रंग! 

1 टिप्पणी:

आभार है मेरा