06 मई 2013

आशा


समझती हूँ मैं तुम्हारी  व्यथा
और दुःख से भीनी हवा l

दूर हो रहे हो जो मुझसे 

खो दूंगी मैं ,खुद को खुद से l

जानती हूँ यह क्षण भर को है,
झड जायेगा पत्ते की तरह l

नयी कोपलें फिर फूटेंगी ,
आशाओं की रुधिर किरणे फिर चमकेंगी l

ठंडी बयार का बहेगा झोंका ,
संग लायेगा खुशियों का झरोखा l

विसर्जित है तुम्हें पूर्ण समर्पण ,
है यह मेरा तन मन अर्पण  l

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आभार है मेरा